धरती पर कीड़ों की उत्पती मनुष्य से पहली हुई मानी जाती है. कई बार कुछ जीव जन्तु हमारे लिए बहुत उपयोगी होते हैं, वहीं मानव अपने फायदे के लिए उन जीवों को मारने से बी गुरेज नहीं करता. हमारे पूर्वज भी कीड़े-मकौड़े खाते थे. एक जीव है हॉर्स शू करैब, जिसे मेडिकल सांइस बहुत उपयोगी मानती है और केकडे का खून उनके लिए अमृत के समान होता है.
पानी में पाए जाने वाले हॉर्स-शू केकड़े का खून नीले रंग का होता है. ये प्रजाति 45 करोड़ साल से अस्तित्व में है. मेडिकल साइंस में इस केकड़े का खून इसकी एंटी बैक्टीरियल प्रॉपर्टी की वजह से इस्तेमाल किया जाता है. खून में कॉपर बेस्ड हीमोसाइनिन का होना, जो ऑक्सीजन को शरीर के सारे हिस्सों में ले जाता है.
इसका खून मेडिकल साइंस के लिए अमृत से कम नहीं है. इस खासियत की वजह से इसके खून की कीमत करीब 10 लाख रु प्रति लीटर है. अच्छी तरह सफाई के बाद इन केकड़ो को लैब में एक स्टैंड पर फिट कर मुंह के हिस्से में एक लंबी सिरिंज चुभाकर एक बॉटल में लगा दी जाती है. इस प्रॉसेस में धीरे-धीरे खून बॉटल में आता रहता है.
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