मुस्करा जाता हू,अक्सर गुस्से में भी तेरा नाम सुनकर ़़,सोच अगर तेरे नाम से इतनी महौबत है...तो तुमसे कितनी महौबत होगी
तुम क्या जानो क्या है तन्हाई, टूटे हर पत्ते से पूछो
क्या है जुदाई, यूँ बेवफ़ाई का इल्ज़ाम ना दे ए-
ज़ालिम, इस वक़्त से पूछ किस वक़्त तेरी याद ना
आई..!!!
मुस्करा जाता हू,अक्सर
Reviewed by Rakesh Kumar
on
August 18, 2016
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