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Maut ki shayri

Kisi shayar ne apni mout ko kya khub pesh
kiya he
था मैं नींद में और
मुझे इतना
सजाया जा रहा था....
.
बड़े प्यार से
मुझे नहलाया जा रहा
था....
.
ना जाने
था वो कौन सा अजब खेल
मेरे घर
में....
.
बच्चो की तरह मुझे
कंधे पर उठाया जा रहा
था....
.
था पास मेरा हर अपना
उस
वक़्त....
.
फिर भी मैं हर किसी के
मन
से
भुलाया जा रहा था...
.
जो कभी देखते
भी न थे मोहब्बत की
निगाहों
से....
.
उनके दिल से भी प्यार मुझ
पर
लुटाया जा रहा था...
.
मालूम नही क्यों
हैरान था हर कोई मुझे
सोते
हुए
देख कर....
.
जोर-जोर से रोकर मुझे
जगाया जा रहा था...
.
काँप उठी
मेरी रूह वो मंज़र
देख
कर....
.
जहाँ मुझे हमेशा के
लिए
सुलाया जा रहा था....
.
मोहब्बत की
इन्तहा थी जिन दिलो में
मेरे
लिए....
.
उन्ही दिलो के हाथो,
आज मैं जलाया जा रहा

Maut ki shayri Maut ki shayri Reviewed by Rakesh Kumar on September 25, 2014 Rating: 5

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